नकली दवाओं को लेकर उत्तराखंड का ये शहर बना चुनौती, कहीं आपकी बीपी, शुगर-हार्ट की दवाइयां नकली तो नहीं.!, जाने क्यों छूट जा रहें हैं आरोपी
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हरिद्वार। प्रदेश में नकली दवाओं के कारोबार में रुड़की का भगवानपुर क्षेत्र चुनौती बना हुआ है। यहां एक के बाद एक नकली दवाएं बनाने और इनके व्यापार करने के मामले एसटीएफ और ड्रग विभाग के छापों में पकड़े जा रहे हैं। एक मामले में तो फार्मा कंपनियों की एक्सपायरी दवाओं को बेचने के लिए नए रैपर में पैक किया जा रहा था। साथ की कंपनियों के एक्सपायरी साल्ट से भी दवाएं बनती मिली। कई ऐसे नकली दवाओं के गोदाम पकड़े गए जो, स्क्रैप आदि के थे। पुलिस ने बीपी,शुगर-हार्ट आदि बीमारियों से जुड़ी कई जीवनरक्षक नकली दवाइयां बनाने वाली फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया है। प्रदेश में नकली दवाओं के कारोबार में रुड़की का भगवानपुर क्षेत्र चुनौती बना हुआ है। वहीं उत्तराखंड के साथ ही देश के कई राज्यों में नकली और मिलावटी दवाइयों के खिलाफ पुलिस जांच कर रही है। उसके बाद पुलिस मुदकमे भी दर्ज कर रही है। लेकिन बाद में कोर्ट में आरोपी इस वजह से छूट जा रहे हैं कि ऐसे मामलों की जांच पुलिस कर ही नहीं सकती। ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज न होने की वजह से आरोपी छूट रहे हैं।
वहीं बड़ी बात ये है कि नकली और मिलावटी दवाएं बनाने वालों पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय की ओर से इसके आदेश किए गए हैं।इसके बाद अब ऐसे मामलों में पुलिस को एफआईआर न करने को कहा गया है। ताकि ड्रग इंस्पेक्टर की जांच और मुकदमे के बाद दोषियों को सजा मिल सके। अब ऐसे मुकदमे सिर्फ ड्रग इंस्पेक्टर ही दर्ज कराएंगे। नकली दवाओं के सौदागरों को सख्त सजा दिलाने के लिए यह प्रावधान किया गया है। राज्य में पिछले कई सालों से बड़े स्तर पर नकली दवाएं पकड़ी जा रही हैं। दवा बनाने वालों के खिलाफ पुलिस जांच करने के बाद एफआईआर दर्ज कर रही है। लेकिन अब पुलिस ऐसे मामलों की जांच और मुकदमे नहीं कर पाएगी।
अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था डॉ. वी. मुरुगेशन की ओर से इस संदर्भ में आदेश किए गए हैं। दरअसल, ड्रग ऐक्ट के तहत नकली और मिलावटी दवा बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार ड्रग इंस्पेक्टर को दिया गया है। लेकिन राज्य में पिछले काफी समय से पुलिस भी ऐसे मामलों की जांच कर रही है और मुकदमे भी दर्ज कर रही है। लेकिन हाल में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि ऐसे मामलों में ड्रग ऐक्ट के तहत ड्रग इंस्पेक्टर ही न्यायालय में मुकदमा दर्ज करा सकते हैं।