देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ने लगी ठिठुरन, सुबह – शाम कोहरे से घुटने लगा दम

देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ने लगी ठिठुरन, सुबह – शाम कोहरे से घुटने लगा दम
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दिल्ली एनसीआर।  देश की राजधानी दिल्ली में न्यूनतम तापमान 6.0 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है जो सामान्य से दो डिग्री कम है। बीते दो दिन से दिल्ली में करीब 6 डिग्री तापमान दर्ज किया जा रहा है। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक दिल्ली में इन दिनों पहाड़ी क्षेत्रों से भी ज्यादा  ठंड पड़ रही है। मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में अभी तीन दिन न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक बने रहने का अनुमान है। जबकि शिमला में न्यूनतम तापमान दिल्ली से ज्यादा दर्ज किया जा रहा है। राजधानी दिल्ली में सुबह और शाम ठिठुरन बढ़ने लगी है। रविवार सुबह में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद समेत एनसीआर के अन्य इलाकों में धुंध और कोहरा छाया रहा ।

तापमान में गिरावट के साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर भी बढ़ रहा है।वहीं मौसमी दशाओं के अनुकूल होने से आठ साल में पहली बार 17 दिसबंर को दिल्ली-एनसीआर की हवा दमघोटू नहीं हुई। अक्तूबर में बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ा तो पराली जलाने की घटनाएं भी कम दर्ज की गईं। इनके मिले-जुले असर से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषक हांफते नजर आए और यह सर्दी वर्ष 2015 से लेकर अभी तक सबसे कम प्रदूषित रही। लेकिन हालात अभी खराब हैं। प्रदूषण से निजात के लिए एनसीआर में काफी प्रयासों की जरूरत है।सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर के 16 दिनों में दिल्ली का एक्यूआई सबसे ज्यादा और गुरुग्राम का सबसे कम रहा। दोनों जगह 295 और 239 एक्यूआई रहा। इस बीच दिल्ली की हवा सिर्फ 12 दिसंबर और ग्रेनो की 6 व 12 दिसंबर को गंभीर स्तर पर रही, जबकि गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा व फरीदाबाद में हवा की गुणवत्ता औसत से बेहद खराब दर्ज की गई।

अक्तूबर व नवंबर में दिल्ली का औसत एक्यूआई 142 रहा। वर्ष 2018 की तुलना में यह 18 फीसदी और 2016 की तुलना में 38 फीसदी कम है। 2016 के अक्तूबर-नवंबर अब तक के सबसे प्रदूषित दो महीने रहे हैं। एनसीआर के शहरों की हालत भी बेहतर रही। एनसीआर में सबसे प्रदूषित दिल्ली रही। दूसरे नंबर पर गुरुग्राम और तीसरे पर गाजियाबाद रहा।अक्तूबर व नवंबर में दिल्ली में 115 एमएम बारिश हुई जो पांच सालों में सबसे ज्यादा है। दिसंबर के 15 दिनों में हवा की औसत रफ्तार करीब 13 किमी प्रति घंटा रही। नवंबर में गति 12.4 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास रही। वर्ष 2021 में हवा की गति 11 और 2020 में 11.5 किलोमीटर प्रति घंटे रही। वहीं, इस साल पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में पराली जलाने के मामलों में 37 फीसदी कमी आई। सफर के आंकड़ों के मुताबिक, पराली जलाने की अवधि 53 दिनों की रही। वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 56 दिनों का था।

प्रादेशिक मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इस बार हवा की रफ्तार 8-14 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। पिछले वर्ष के दौरान यह साढ़े पांच किलोमीटर प्रतिघंटा रही। उत्तर पश्चिमी हवा चलने से भी हालात में सुधार आया।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अतिरिक्त निदेशक दीपांकर शाहा ने बताया कि हवा की रफ्तार और न्यूनतम व अधिकतम तापमान में अंतर बढ़ने से हवा की गुणवत्ता में सुधार आया। इससे प्रदूषकों का बिखराव आसानी से होने से हवा साफ हुई।सेंटर फॉर साइंस एंड एनवारमेंट के कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने बताया कि अक्तूबर में अच्छी बारिश व पराली जलाने की घटनाएं कम हुईं। हवा की गति भी तेज रही। ऐसे में प्रदूषण कम रहा। फिर भी, अभी बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है।

admin

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