स्कूलों में अब बच्चे अंग्रेजी, हिंदी के साथ कुमाऊंनी बोली व संस्कृति का भी ले सकेंगे ज्ञान

स्कूलों में अब बच्चे अंग्रेजी, हिंदी के साथ कुमाऊंनी बोली व संस्कृति का भी ले सकेंगे ज्ञान
Spread the love

हल्द्वानी। पहाड़ से पलायन कर मैदानी क्षेत्रों में आने वाले बच्चों का अपनी बोली (कुमाऊंनी) से जुड़ाव बनाए रखने के लिए डीएम ने बेहतर पहल की है। स्कूलों में अब बच्चे अंग्रेजी, हिंदी के साथ कुमाऊंनी बोली व संस्कृति का भी ज्ञान ले सकेंगे। इसके लिए कक्षा एक से पांच तक झुमकि, छुबकि, हंसुली, धगुली और पैजनि किताब प्रकाशित की गई हैं।मुख्य शिक्षा अधिकारी केएस रावत ने बताया कि डीएम धीरज सिंह गर्ब्याल की पहल पर कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को कुमाऊंनी बोली और संस्कृति का ज्ञान देने के लिए कुमाऊंनी किताबों का प्रकाशन कराया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत जनपद के नगरीय क्षेत्र के तीन ब्लाक हल्द्वानी, रामनगर व कोटाबाग में पढ़ रहे 10 हजार बच्चों के लिए ये किताबें मुद्रित कराई गई हैं।

इन्हें सरकारी के साथ निजी स्कूलों में भी भेजा जा रहा है। नए शैक्षिक सत्र में शिक्षक इन किताबों के माध्यम से बच्चों को कुमाऊंनी बोली व संस्कृति की जानकारी देंगे। बच्चे कक्षा एक में धगुलि, कक्षा दो-हंसुली, कक्षा तीन-छुबकि, कक्षा चार-पैजनि और कक्षा पांच-झुमकि पाठ्य पुस्तक पढेंगे। शिक्षा विभाग ने इनके अलावा स्कूलों के पुस्तकालय में गोलगप्पू, तोसियाक स्वैंण, चाड़व, मिमी लीजि के ल्यूं, पाको आम, मिठै, झूल, म्यर जस, आमक चशम, ऊनक ग्वल, हिरो पिपरि बणूनं, फूलों रोटि, फूटक मारणी जुराब, मेरे जैसो, गुतली डंडा, मिलिक साइकिल, घुट घुट बाटुई, पतव, ग्युं आदि नाम से कुमाऊंनी कविताओं व कहानी की पुस्तकें रखी हैं।

निजी व सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी, अंग्रेजी के साथ कुमाऊंनी बोली का ज्ञान अर्जित करेंगे। डीएम की पहल पर जनपद के मैदानी तीन ब्लाकों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया जा रहा है। इसका रिस्पांस अच्छा मिलेगा तो पूरे जनपद में लागू किया जाएगा।

admin

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *