रूस-यूक्रेन युद्ध और बढ़ते तेल के दाम से सीमेंट के और बढ़ सकते हैं दाम

रूस-यूक्रेन युद्ध और बढ़ते तेल के दाम से सीमेंट के और बढ़ सकते हैं दाम
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देश में निर्माण गतिविधियों के जोर पकड़ने और वैश्विक अस्थिरता के साथ-साथ बढ़ते पेट्रोल, डीजल के दामों का असर सीमेंट के दामों पर भी देखने को मिल सकता है। केयर रेटिंग की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तवर्ष के दौरान सीमेंट की मांग में तेजी बनी हुई है। ये तेजी आने वाले दिनों में भी बनी रह सकती है। बढ़ती मांग के हिसाब से दाम भी ऊंचे स्तर पर देखने को मिल सकते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक वित्तवर्ष 2021-22 में सीमेंट क्षेत्र में अब तक की सबसे ज्यादा 20 फीसदी ग्रोथ देखने को मिली है। वहीं इसके पिछले वित्तवर्ष में इसमें 11 फीसदी की गिरावट थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में चल रही सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर कामकाज की वजह से ये वृद्धि देखने को मिल रही है।

मांग में बढ़त: पिछले वित्तवर्ष की पहली तिमाही में इस क्षेत्र की मांग में 54 फीसदी ग्रोथ देखने को मिली। ये क्रम इसकी अगली तिमाही में 22 फीसदी की ग्रोथ के साथ बना रहा। तीसरी तिमाही में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर लगाम के चलते इसमें कुछ गिरावट देखी गई। हालांकि उसके बाद चौथी तिमाही में एक बार फिर से 13 फीसद की बढ़त रही। देश में मध्य और दक्षिण भारत में ग्रामीण घर निर्माण के साथ साथ इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों की वजह से मांग ज्यादा बढ़ी है। वहीं पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र में मांग एक दायरे में रही है।

दाम का ये रहेगा ट्रेंड: रिपोर्ट के मुताबिक ऑल इंडिया रीटेल सीमेंट प्राइस दिसंबर को छोड़ कर पूरे वित्तवर्ष 2021-22 में ऊंचा ही बना रहा है। सिर्फ दिसंबर महीने में ये 349 रुपए प्रति बैग के निचले स्तर पर देखा गया। हालांकि इसके बाद वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में इसमें 23 फीसदी का इजाफा देखा गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक दाम बढ़ने की प्रमुख वजह रूस-यूक्रेन युद्ध और बढ़ते तेल के दाम हैं। इन वजहों से सीमेंट के उत्पादन की लागत प्रभावित होती है। आने वाले दिनों में भी आशंका यही जताई जा रही है कि दाम ऊंचे ही बने रहेंगे। वित्तवर्ष 2022-23 में सीमेंट की मांग का ट्रेंड बढ़त की ओर ही इशारा कर रहा है। साथ ही छोटी अवधि में सीमेंट उत्पादनकर्ताओं पर बढ़ती लागत का दबाव रहेगा और ये इसका बोझ ग्राहकों पर डालेंगे।हालांकि अच्छी बात ये रहेगी की कंपनियों की तगड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए दामों में ये बढ़त बहुत ज्यादा होने के आसार नहीं हैं।

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