वाह रे लोकनिर्माण विभाग, अपनी सड़कों के लिए बजट का रोना और फाइव स्टार होटल पर मेहरबानी, सीएम दरबार पहुंचा ममला

वाह रे लोकनिर्माण विभाग, अपनी सड़कों के लिए बजट का रोना और फाइव स्टार होटल पर मेहरबानी, सीएम दरबार पहुंचा ममला
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देहरादून। उत्तराखंड लोकनिर्माण विभाग अपनी कार्यशैली को लेकर खासा चर्चाओं में रहता है। सड़कों के डामरीकरण का मामला हो या नई सड़कों के निर्माण का हर बार सवाल उठते रहे हैं। जिनके जवाब लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों के पास नहीं होते है। शायद राज्य का कोई कोना ऐसा हो जहां के लोग इस विभाग की कार्यशैली से खुश हों। लोकनिर्माण विभाग काम तो करता है लेकिन इन कामों को लेकर उसकी तारीफ कम और सवाल ज्यादा उठते हैं। ताजा मामला देहरादून के एक फाइव स्टार होटल से जुड़ा हुआ है। जहां विभाग ने नियम कायदों को ताक पर रखकर रोड़ का काम शुरू कर दिया है।

राजधानी दून के मसूरी रोड स्तिथ कुठालगेट में निर्मित एक पांच सितारा होटल हयात के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा एक करोड़ दस लाख रुपए की लागत से मार्ग बनाये जाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए निर्माण सामग्री एकत्र करनी शुरू कर दी गई है, जिससे स्थानीय ग्रामीण खासे आक्रोशित है। ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा शहर की खस्ताहाल पड़ी सड़कों का जीर्णाेद्धार तो नहीं किया जाता और बजट न होने का रोना रोया जाता है।

लेकिन एक पांच सितारा होटल के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग का निर्माण किये जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मार्ग में ग्रामीणों की पैतृक भूमि के साथ ही वन विभाग की भूमि भी शामिल है, जिस पर विभाग और होटल प्रबंधन द्वारा मार्ग का निर्माण करने की तैयारी है। किसी से भी इसकी अनापत्ति नहीं ली गई, पत्रकारों से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि सूचना का अधिकार के तहत उनके द्वारा मांगी गई सूचना के अनुसार न तो यहां पर वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया, ना ही नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया है। उसके बावजूद भी यहां पर ऊंची रसूख के चलते मार्ग का निर्माण प्रस्तावित है, जबकि ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में न्यायालय में वाद दायर किया गया है, जिस पर अभी सुनवाई चल रही है ।

वहीं कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बाद भी सड़क निर्माण की बात को देखते हुए जिलाधिकारी तथा मुख्यमंत्री से भी इस संबंध में शिकायत की गई है। फिर भी यहां पर होटल को जोड़ने वाले सड़क मार्ग का निर्माण किया गया तो ग्रामीणों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जब यहां कोई बस्ती नहीं है तो रोड किसके लिए बनाई जा रही है। जिलाधिकारी ने राजस्व विभाग व वन विभाग को उक्त क्षेत्र का स्थल संयुक्त निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा है। मौके पर मौजुद ग्रामीणों सुल्तान सिंह, चेतन सिंह, दीपक सिंह, प्रवीण मखडेती, राजेंद्र ने बताया कि उनके सामने अधिकारी कुछ और बात करते है, वहीं होटल प्रबंधन के सामने कुछ और। सूचना के अधिकार से सभी कागजात उपलब्ध कराए गए है। उसके बाद भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है, साफ नजर आता है कि ऊंची पहुंच के चलते स्थानीय ग्रामीणों की जमीन पर कब्जा करके सड़क निर्माण की तैयारी हो रही है। हमारा सिर्फ इतना कहना है की सरकारी कागजों के अनुसार जमीन हमारे नाम पर दर्ज है, उसके बाद भी इसके ऊपर सरकारी लोक निर्माण विभाग कैसे सड़क बनाने का फैसला कर सकता है।

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